रक्षाबंधन भाई बहनों का त्योंहार हैं जो मुख्यत: हिन्दुओं में प्रचलित है पर भारत में सभी धर्मो के लोग उत्साह के साथ इसे मनाते है। रक्षाबंधन श्रावणमास (जुलाई-अगस्त ) में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। रक्षाबंधन अर्थात रक्षा की कामना के लिए बाँधा गया ऐसा बंधन जो सनातन काल से इस सृष्टि पर विद्यमान है।
रक्षाबंधन का इतिहास पौराणिक कथाओं में मिलता है। वामनावतार नामक पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि ने यज्ञ सम्पन्न कर स्वर्ग पर अपना अधिकार करने के लिए प्रत्यन किया जिससे देवराज इन्द्र कमजोर पड़ गए। इन्द्र सहित सभी देवता भगवन विष्णु के पास जाते है और भगवन विष्णु से रक्षा की प्रार्थना करते है । भगवान विष्णु वामन अवतार में राजा बलि के द्वार पर भीक्षा याचना करते है। राजा बलि गुरु के मना करने के बाद भी अहंकार में आकर ब्राह्मण रूपी भगवान विष्णु को तीन पग भूमि दान देने का वचन दे देते है। भगवान विष्णु तीन पग में ही आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज देते है। रसातल में राजा बलि कठोर तपस्या कर भगवान् विष्णु से वरदान ले लेते है कि वे दिन-रात उनके सामने रहेंगे। भगवान् विष्णु के विष्णुलोक न पहुँच पाने के कारण लक्ष्मी जी गहरी चिंता में पड़ गई। महर्षि नारद जी की सलाह पर लक्ष्मी जी राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर भगवान विष्णु को उपहार में मांगकर अपने साथ वापस विष्णुलोक ले आती है। इस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी।
महाभारत में भी रक्षाबंधन के पर्व का उल्लेख मिलता है। शिशुपाल का वध करते समय भगवान श्री कृष्ण की तर्जनी उंगली में चोट लग गई, तो द्रोपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बाँधा था। संयोग से इस दिन श्रावण मास की की पूर्णिमा थी। श्रीकृष्ण ने द्रोपदी के चीरहरण के समय द्रोपदी की लाज बचाकर यह कर्ज उतारा था।
हिन्दू धर्म के सभी धार्मिक अनुष्ठानों में रक्षा सूत्र बांधते समय सभी आचार्य तथा पण्डित एक श्लोक का उच्चारण करते है,
यह श्लोक है "येना बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः; तेना त्वं अनुबध्नामी रक्षी माँ चला माँ चला !"
यह श्लोक है "येना बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः; तेना त्वं अनुबध्नामी रक्षी माँ चला माँ चला !"
श्लोक का भावार्थ है - "जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बाँधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूँ, तूम अपने संकल्प से कभी विचलित ना हों।"
प्रात: स्नानादि से निवृत होकर घर में बच्चों से लेकर बड़े सभी पूजा या किसी उपयुक्त स्थान पर बैठते है। स्त्रियाँ तथा महिलायें थाली में राखी के साथ रोली, चावल, दीपद और कुछ मिठाई भी रखती हैं। पहले भगवान् की पूजा की जाती है। इसके बाद भाई को रोली का टीका करके चावल को टीके पर लगाया जाता है और सिर पर छिड़का जाता है। बाद में आरती उतारकर उक्त श्लोक का उच्चारण करते हुए राखी बांधती है। एक-दुसरे को मिठाई खिलाई जाती तथा बाद में भाई अपनी बहिन को पैसे या उपहार भेंट करता है।
आज के आधुनिक तकनीकी युग एवं सूचना तकनीकी युग का प्रभाव रक्षाबंधन पर भी पड़ा। आजकल बहुत से लोग अपने परिवार से दूर एवं विदेशों में रहते है। इन्टरनेट के युग में काफी सारी ई-कामर्स वेबसाईट खुल गई है जो दिये गये पते पर ऑनलाइन आर्डर लेकर राखी पहुंचाती है।
रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई ।
Note:यदि आपके पास Hindi में कोई article, inspirational story या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें।हमारी Id है:hindibrain@gmail.com.पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. ज्यादा जानकारी के लिये यहाँ Click करें। Thanks.

No comments:
Post a Comment