एक बार महाराजा युधिष्ठिर के दरबार में एक ब्राह्मण आये और भिक्षादान का अनुरोध करने लगे. महाराजा युधिष्ठिर के दरबार से कोई
भी खाली हाथ नहीं जाता था. महाराज युधिष्ठिर न्यायप्रिय और दानवीर थे. ब्राह्मण भी बड़ी ही उम्मीद लेकर उनके पास आये थे. महाराजा युधिष्ठिर उस दिन कुछ व्यस्त थे. इसीलिए उन्होंने विनम्रतापूर्वक ब्राहमण को अगले दिन आने को कहा. पास ही भीम बैठे थे. वो यह सब देख रहे थे. भीम को महाराजा युधिष्ठिर द्वारा ब्राह्मण को कल आने के लिए कहने पर बड़ा दुःख हुआ. शाम को भीम नगाड़ा लेकर पुरे नगर में घूम घूम कर कहने लगे कि बधाई हो, महाराज युधिष्ठिर ने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली हैं. यह बात महाराजा युधिष्ठिर तक पहुंची तो उन्होंने तुरंत भीम को बुलवाया और इसका कारण पूछा. भीम ने कहा - महाराज, आपने उस ब्राह्मण को अगले दिन आने को कहा. इसका आशय यह हुआ की आपको मालूम था कि आप अगले दिन तक जीवित रहेंगे. इस तरह आपने मृत्यु पर एक दिन के लिए विजय प्राप्त कर ली हैं. इसी वजह से मैंने पुरे नगर के लोगों को बधाई दी. महाराजा युधिष्ठिर को अपनी गलती का अहसास हो चूका था. उन्होंने ब्राह्मण को बुलाकर उचित दान दिया और साथ में यह प्रण भी किया कि अब वो आगे से किसी भी काम को कल पर नहीं छोड़ेंगे.
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| kal aana |
मित्रों, रोज के छोटे-छोटे कार्य टालने वाले कभी भी बड़ा कार्य नहीं कर सकते हैं. अपना समय व्यर्थ गवाकर अपने भविष्य और अपने सपनों के साथ विश्वासघात न करे.
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Nice message... well conveyed :)
ReplyDeleteProcrastination is one of the worst things. Nice story.
ReplyDeleteThanx..... All of you.
DeletePraan ki jagah pran hona chahiye
ReplyDeleteinspiring kahani
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